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सूक्ष्म सिंचाई

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का घटक ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी)’’ कार्यान्वित कर रहा है। 

पीएमकेएसवाई- पीडीएमसी के तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यथा ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्‍यम से खेत स्तर पर जल उपयोग की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। 

ड्रिप सूक्ष्म सिचाई तकनीक से न केवल जल की बचत करने में, बल्कि उर्वरक के उपयोग, श्रम खर्च और अन्य कच्‍चे माल की लागत को कम करने में भी मदद मिलती है।

चालू वर्ष के लिए 4000 करोड़ रुपये का वार्षिक आवंटन पहले ही हो गया है और राज्य सरकारों को सूचित कर दिया गया है। 

राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम के तहत कवर किए जाने वाले लाभार्थियों की पहचान कर ली है।वर्ष 2020-21 के लिए कुछ राज्यों को फंड जारी करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। 

 इसके अलावा, नाबार्ड के साथ मिलकर 5000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष सिंचाई और अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिचाई की कवरेज के विस्तार के लिए आवश्‍यक संसाधन जुटाने में सुविधा प्रदान करना है। 

इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से परे सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना है। 

ब तक नाबार्ड के माध्यम से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को सूक्ष्म सिचाई कोष से क्रमश: 616.14 करोड़ रुपये और 478.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 

इन परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया क्षेत्र आंध्र प्रदेश में 1.021 लाख हेक्टेयर और तमिलनाडु में 1.76 लाख हेक्टेयर है। 

 पिछले पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20 तक) के दौरान 46.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।  

पहला कृषि बजट पेश, कई योजनाओं के लिए की बढ़ाई राशि

पहला कृषि बजट पेश, कई योजनाओं के लिए की बढ़ाई राशि

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना पहला कृषि बजट पेश किया. सीएम ने एस बार मिशन मोड पर कुल 11 योजानाओं के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा. जिसमें मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना सबसे अहम है. बता दें पिछले साल राज्य सरकार ने इस योजना के तहत 2 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इस साल के बजट में इसकी राशि को बढाकर 5 हजार रुपये करोड़ कर दी गयी है. बजट पेश करने के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, उनकी सरकार का लक्ष्य किसानों की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखना है. इसके अलावा राज्य को कृषि के क्षेत्र में पहले पहले पायदान पर लाना है. उन्होंने ये भी कहा कि, पिछले बजट में उन्होंने कृषक साथी योजना के तहत दो हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया था. जिसे अब बढ़ाकर 5 हजार करोड़ रुपये किया जाएगा. सीएम ने कहा कि, राजस्थान एग्री-टेक मिशन, राजस्थान कृषि मजदूर, राजस्थान भूमि उर्वरता, राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई, राजस्थान जैविक खेती, राजस्थान बीज उत्पादन और वितरण जैसे कुल 11 मिशन शामिल हैं.

5 लाख किसान होंगे लाभान्वित

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि, राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तह 27 सौ करोड़ रुएये का जो बजट प्रस्तावित किया गया है, उससे करीब पांच लाख किसान लाभान्वित होंगे. इसके लिए उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा मुख्य मिशनों में जैविक खेती का मिशन भी शामिल है. जिसे तीन सालों में चार लाख किसानों को फायदा देने के 6 सौ करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गये हैं. इसके अलावा 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव राजस्थान मिलेट्स प्रमोशन मिशन के लिए प्रस्तावित किया गया है. वहीं बात राजस्थान संरक्षित खेती मिशन की करें तो इस योजना के तहत आने वाले सो सालों में 25 हजार किसानों को 4 सौ करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाने वाला है.

एक लाख किसानों को मिलेगा अनुदान

सरकार ने 5 हजार रुपये के खर्च के साथ सौर पम्प सेट की स्थापना पर किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है. जिसमें एक लाख किसानों को करिव 60 फीसद अनुदान मिलेगा. इसके अलावा सरकार किसानों को 3.38 लाख बिजली कनेक्शन भी देगी, जिसकी लागत 6 हजार 7 सौ करोड़ रुपये है. ये भी देखें: राजस्थान कृषि बजट समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ये है अगला प्लान

फाइटो-सैनिटरी लैब होगी स्थापित

सरकार ने जोधपुर और कोटा में फाइटो-सैनिटरी लैब स्थापित करने की घोषणा की है. इसके अलावा जिलों में 11 मिनी फूड पार्क भी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, जिनकी लागत 220 करोड़ रुपये होगी.
भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भारत के विभिन्न राज्यों से भूजल स्तर में गिरावट आने की खबर सामने आ रही है। फलस्वरूप फसल की पैदावार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का निराकरण करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा प्रथम चरण में 1000 रीचार्जिंग बोरवेल की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि क्षेत्र में जल के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न राज्यों में ड्रॉप मोर क्रॉप योजना जारी की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि न्यूनतम जल में सिंचाई करके नकदी एवं बागवानी फसलों से काफी अधिक पैदावार मिल रही है। भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में भूमिगत जल संकट भी एक बड़ी चुनौती थी। हालाँकि, फिलहाल सूक्ष्म सिंचाई मॉडल द्वारा इन समस्त समस्याओं को दूर कर दिया है। यह सिंचाई पद्धति को उपयोग में लाना किसान भाइयों के लिए और भी सस्ता हो गया है। केंद्र सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के चलते सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित कराने के लिए किसान भाइयों को सब्सिडी का प्रावधान दिया गया है।

हरियाणा सरकार द्वारा दिया जा रहा है अनुदान

इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।

किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान

कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है। ये भी देखें: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं

हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।
यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

ग्लोबल वार्मिंग और भूमिगत जल के अत्याधिक दोहन के कारण धरती का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, ऐसे में लोगों के साथ ही किसानों के सामने भी भविष्य में बड़ी परेशानी सामने आ सकती है। जहां लोगों के लिए पेयजल एवं किसानों के लिए सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता में कमी आ सकती है। क्योंकि इन दिनों खेती किसानी में पानी का बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है। खेती किसानी में अब नए यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है जो पानी की बेतहासा बर्बादी करते हैं। खेतों में पानी की सिंचाई करके किसान भाई अच्छी खासा उत्पादन करते हैं जिनसे उन्हें मुनाफा होता है। लेकिन भूमिगत जल के कम होने की समस्या बेहद विकराल रूप ले चुकी है। गिरते हुए भूमिगत जल को देखते हुए अब सरकार ने दूसरी सिंचाई पद्धतियों को अपनाना शुरू कर दिया है जिससे पानी की खपत को कम किया जा सके। इसमें ड्रिप सिंचाई एक बेहतरीन तकनीक है जिससे किसान भाई भारी मात्रा में पानी की बचत कर सकते हैं। इसके साथ ही सूक्ष्म सिंचाई मॉडल ने भी कम होते पानी की चिंता को दूर किया है। इसके लिए सरकार किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगवाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसी को देखते हुए अब हरियाणा की सरकार भी आगे आई है और हरियाणा की सरकार ने कहा है कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने और रिचार्जिंग बोरवेल इंस्टॉल करवाने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इससे क्षय होते भूमिगत जल को रोका जा सकता है साथ ही पानी के संचयन में विशेष मदद मिलने वाली है। इससे भूमिगत जल को तेजी से रिकवर किया जा सकता है।

किसानों को इतनी मिल सकती है सब्सिडी

इन दिनों अगर सिंचाई की बात करें तो भूमि के एक बहुत बड़े हिस्से की सिंचाई भूमिगत जल के द्वारा की जाती है। जिसके कारण भूमिगत जल का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हालांकि इससे बागवानी फसलों को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन इससे फायदे होने की जगह नुकसान ज्यादा हैं। इसको देखते हुए अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल अपनाने के लिए अब किसानों को 85% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस मॉडल में किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को अपनाना होगा। ये किसानों के लिए बेहद सस्ता और सुविधाजनक भी है। ये भी देखें: 75 फीसद सब्सिडी के साथ मिल रहा ड्रिप स्प्रिंकलर सिस्टम, किसानों को करना होगा बस ये काम

पहले चरण में इतने लोगों को दी जाएगी सब्सिडी

सरकार ने बताया है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल के अंतर्गत गिरते भूजल स्तर को वापस रिकवर करने के लिए सरकार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने की योजना पर काम कर रही है। जिससे बरसात के पानी का संचयन करके उसे वापस जमीन में पहुंचाया जा सके। सरकार ने बताया है कि रीचार्जिंग बोरवेल लगाने के लिए किसान को मात्र 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे। इसके बाद जो भी खर्च आता है वो हरियाणा की सरकार वहन करेगी। पहले चरण में राज्य में सरकार ने 1 हजार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य रखा है।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार करें आवेदन

हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया है कि अब आवेदन करने के लिए किसान भाइयों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। इसके लिए इच्छुक किसान भाई हरियाणा सरकार के सिंचाई और जल संसाधन विभाग की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर बेहद आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग में भी संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
इस राज्य में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था हेतु मुहैया कराई गई 463 करोड़ रुपए

इस राज्य में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था हेतु मुहैया कराई गई 463 करोड़ रुपए

किसानों की दोगुनी आमदनी करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से किसानों को सुविधा और राहत दिलाने के लिए 463 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है। इसके तहत डिग्गी, फार्म पौण्ड एवं सिंचाई पाइपलाइन आदि कार्य को पूर्ण किया जाएगा। राजस्थान सरकार प्रदेश के किसान भाइयों को मजबूती पहुंचाने हेतु लगातार कोशिशें करते रहते हैं। इसके चलते विगत कुछ माहों से राज्य सरकार प्रदेश में स्वयं की समस्त योजनाओं पर कार्य कर लोगों की सहायता कर रही है। हाल ही, में सरकार द्वारा आम जनता के लिए CNG और PNG के मूल्यों में भी काफी गिरावट देखने को मिली है। सिर्फ इतना ही नहीं राज्य हेतु सरकार नित नए दिन कुछ न कुछ नवीन पहल कर रही है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत करने का फैसला लिया है।

सरकार कितने करोड़ की धनराशि अनुदान स्वरुप किसानों को प्रदान कर रही है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य में सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था को ज्यादा सुदृढ़ करने के लिए डिग्गी, फार्म पौण्ड और सिंचाई पाइपलाइन आदि कार्यों हेतु 463 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। साथ ही, सरकार की तरफ से अधिकारीयों को यह निर्देश भी दिए गए हैं, कि इस परियोजना पर शीघ्रता से कार्य चालू किया जाना चाहिए। यह भी पढ़ें: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

लाभन्वित किसानों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी

इसके अतिरिक्त आगामी 2 वर्षों में फार्म पौण्ड निर्माण करने हेतु लगभग 30 हजार किसानों को लाभान्वित करने की संख्या में वृद्धि कर दी जाएगी। इस बार सरकार का यह उद्देश्य रहेगा कि फार्म पौण्ड निर्माण के लिए कृषकों की संख्या तकरीबन 50 हजार तक कर दिया गया है।

सरकार किसको अनुदान मुहैय्या कराएगी

यदि आप भी राजस्थान के रहने वाले हैं, तो आप आसानी से इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि उपरोक्त में आपको कहा गया है, कि राज्य में किसानों की सहायता करने के लिए सरकार डिग्गी, फार्म पौण्ड एवं सिंचाई पाइपलाइन से संबंधित कार्य हेतु लगभग 463 करोड़ रुपए का खर्चा करने का प्रस्ताव जारी कर दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं सरकार द्वारा यह भी कहा गया है, कि इस सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था के तहत एससी, एसटी के गैर लघु-सीमांत किसान भाइयों को तकरीबन 10 प्रतिशत से अतिरिक्त अनुदान की सहायता प्रदान की जाएगी। बतादें, कि इस संदर्भ में राजस्थान सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी जानकारी प्रदान की गई है। जिससे कि प्रदेश की इस सुविधा के विषय में प्रत्येक किसान भाई को पता चल सके।
हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा राज्य में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान भाई भी धान की सिंचाई भी ट्यूबवेल के माध्यम से करती है। संपूर्ण भारत में भूमिगत जल का स्तर काफी तीव्रता से नीचे जा रहा है। इससे आने वाले समय में जल संकट मड़रा सकता है। विशेष बात यह है, कि भूमिगत जल का सर्वाधिक दोहन फसलों की सिंचाई में किया जा रहा है। इनमे भी सबसे अधिक भूमिगत जल का उपयोग धान की खेती में किया जाता है। यही कारण है, कि हरियाणा की तरह धान उत्पाद प्रदेश में भूमिगत जल स्तर में तीव्रता से गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, इसको लेकर सरकार काफी सतर्कता बरत रही है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान धान की सिंचाई करने के लिए भी ट्यूबवेल का ही उपयोग करते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर में धान का उत्पादन करने पर 50 लाख लीटर जल की खपत हो जाती है। हरियाणा में 33 लाख एकड़ से ज्यादा के क्षेत्रफल में धान की बुवाई की जाती है। ऐसी स्थिति में बाकी राज्यों की भांति हरियाणा में भी भूमिगत जल स्तर बेहद तीव्रता से नीचे गिरता जा रहा है। परंतु, हरियाणा सरकार द्वारा इस संकट से निपटने के लिए एक नया फॉर्मूला समाधान के तौर पर ढूंढ लिया गया है।

हरियाणा सरकार अनुदान बतौर देगी 7 हजार रुपए

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुरक्षित करने हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार धान के स्थान पर अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर रही है। इससे भूमिगत जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। विशेष बात यह है, कि धान के स्थान पर बाकी फसलों की खेती-किसानी करने वाले कृषकों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी प्रदान कर रही है। यह भी पढ़ें: भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा दरअसल, हरियाणा सरकार का कहना है, कि धान की खेती में अत्यधिक जल की आवश्यकता होने की वजह से जल का दोहन भी अधिक होता है। इसके स्थान पर मक्का, तिलहन, हरी सब्जी और दाल की खेती कर जल की खपत कम की जा सकती है। क्योंकि इन फसलों की खेती में बेहद न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डीएसआर तकनीक द्वारा धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ड्रिप इरिगेशन पर कितना अनुदान दे रही है

हरियाणा सरकार सतर्कता से जल संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस विधि द्वारा फसलों की सिंचाई करने पर जल की बर्बादी बेहद कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर के पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है। यदि किसान भाई बाकी फसलों का उत्पादन करते हैं, तब वह सरकारी अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
सिंचाई समस्या पर राज्य सरकार का प्रहार, इस योजना के तहत 80% प्रतिशत अनुदान देगी सरकार

सिंचाई समस्या पर राज्य सरकार का प्रहार, इस योजना के तहत 80% प्रतिशत अनुदान देगी सरकार

बिहार सरकार की तरफ से सामूहिक नलकूप योजना के अंतर्गत कृषकों को 80 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय लिया गया है। इसका मतलब यह है, कि सामूहिक नलकूप स्थापित करने के लिए सरकार राज्य के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां पर कुछ जनपद बारिश की वजह से प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित हो जाते हैं। इन जनपदों में ज्यादा बारिश होने से फसलें चौपट हो जाती हैं। साथ ही, कुछ जनपद ऐसे भी हैं, जहां पर जल की समस्या सदैव बनी रहती है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सिंचाई करने के लिए ट्यूबवेल की सहायता लेनी पड़ती है। परंतु, अब इन जनपदों में किसानों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार द्वारा सिंचाई की परेशानी को दूर करने के लिए सामूहिक नलकूप योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत सरकार किसानों को अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है।

बिहार के इन जिलों को वर्षा के समय बाढ़ का सामना करना पड़ता है

दरअसल, उत्तरी बिहार के विभिन्न जनपद प्रतिवर्ष बारिश के मौसम में बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। इससे खेतों में खड़ी फसल बाढ़ के पानी के साथ बह जाती है, जिससे किसान भाइयों को करोड़ों रुपये की हानि होती है। साथ ही, दक्षिणी बिहार के गया, जहानाबाद, औरंगाबाद और नवादा समेत विभिन्न जनपदों में उत्तरी बिहार के तुलनात्मक कम बरसात होती है। इससे इन जनपदों में रबी के साथ- साथ खरीफ फसल के दौरान भी जल की समस्या बनी रहती है। ऐसी स्थिति में किसान फसलों की वक्त पर सिंचाई नहीं कर पाते हैं।

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किसानों को बिहार सरकार दे रही अच्छा-खासा अनुदान

बिहार राज्य के अंदर सिंचाई के साधनों हेतु जूझ रहे कृषकों के लिए एक खुशखबरी है। बिहार सरकार की तरफ से सामूहिक नलकूप योजना के अंतर्गत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान देने का ऐलान किया गया है। इसका अर्थ यह है, कि सामूहिक नलकूप की स्थापना करने पर किसान भाइयों को सरकार से 80 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई समूह बनाकर इस योजना का फायदा उठा सकते हैं।

पानी से जुड़ी समस्या पर सरकार का प्रहार

दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को जारी किया है। सरकार का यह मानना है, कि इस विधि से सिंचाई करने पर जल की काफी बचत होगी और पौधों को भरपूर मात्रा में जल मिल सकेगा। अब ऐसे में जो किसान भाई ड्रिप इरिगेशन एवं मिनी स्प्रिंकलर विधि द्वारा अपनी फसल की सिंचाई करना चाहते हैं, वह समूह बनाकर अनुदान का लाभ उठा सकते हैं।

आवेदन कर योजना का लाभ उठाएं

किसान भाई अनुदान से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। साथ ही, अनुदान का लाभ उठाने वाले समूह उद्यान निदेशालय की वेबसाइट http://www.horticulture.gov.in पर जाकर आवेदन भी कर सकते हैं।
इस राज्य में बागवानी फसलों पर दी जा रही बंपर सब्सिड़ी, शीघ्र आवेदन करें

इस राज्य में बागवानी फसलों पर दी जा रही बंपर सब्सिड़ी, शीघ्र आवेदन करें

बिहार सरकार द्वारा राज्य में बागवानी फसलों के ऊपर भी अनुदान दिया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत लीची, कटहल, आम और अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान दिया जा रहा है। बिहार राज्य के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। फिलहाल, उनको सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर नहीं रहना होगा। उनकी फसलों को समयानुसार जल मिलेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने किसानों के फायदे में सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को अच्छी-खासी अनुदान राशि देने की योजना बनाई है। सरकार का यह मानना है, कि राज्य में सूक्ष्म सिंचाई योजना को प्रोत्साहन देने से फसलों का उत्पादन बढ़ जाएगा। इससे किसान भाइयों को अधिक फायदा मिलेगा।

बिहार सरकार ने जल की बर्बादी को रोकने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना जारी की

दरअसल, पानी का एक- एक बूंद व्यर्थ न हो, इस मंसा से बिहार सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई योजना का आरंभ किया है। उनका मानना है, कि ट्यूबवेल से डायरेक्ट सिंचाई करने से जल का दोहन अधिक होता है। साथ ही, पौधों की जड़ों तक समुचित मात्रा में जल नहीं पहुंच पाता है। इससे उत्पादन भी प्रभावित होता है। वहीं, सिंचाई की यह विधि ज्यादा खर्चीली भी होती है। अब ऐसी स्थिति में यदि किसान भाई सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत प्लांट लगाकर पौधों की सिंचाई करते हैं, तो उनको अधिक लाभ होगा। यही कारण है, कि सरकार ने इस योजना के अंतर्गत किसानो को अच्छी-खासी अनुदान राशि देने की घोषणा की है। यदि किसान अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो अधिकारियों से संपर्क साध सकते हैं।

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ऑनलाइन आवेदन हेतु अंतिम तिथि

साथ ही, बिहार सरकार प्रदेश में बागवानी फसलों के ऊपर भी अनुदान प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत लीची, कटहल, आम और अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान प्रदान किया जाएगा। यदि किसान भाई योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जून है।

बिहार राज्य इन फसलों की पैदावार में प्रथम स्थान पर है

मुख्य बात यह है, कि बिहार सरकार ने बागवानी फसलों के रकबे में विस्तार करने के लिए इस योजना के जरिए सब्सिडी देने की योजना बनाई है। यदि किसान योजना एवं अनुदान के संदर्भ में ज्यादा जानकारी लेना चाहते हैं, तो आप जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। बतादें, कि बिहार राज्य बागवानी फसलों की खेती में अपनी अलग पहचान रखता है। लीची, मशरूम, मखाने और भिंडी की पैदावार में बिहार भारत भर में प्रथम स्थान पर आता है। अर्थात सबसे ज्यादा इन फसलों का उत्पादन यहीं पर किया जाता है।
राज्य की बूंद बूंद सिंचाई योजना से लाभान्वित किसान फूलचंद की कहानी

राज्य की बूंद बूंद सिंचाई योजना से लाभान्वित किसान फूलचंद की कहानी

राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा 5 हेक्टेयर तक के खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर किसानों को 70% प्रतिशत की सब्सिडी मुहैय्या कराई जा रही है।

पानी की मूल्य राजस्थान के किसान से बढ़कर कोई नहीं जानता है। भारत में अधिकतर कृषि का क्षेत्रफल आज भी बारिश की मेहरबानी पर ही निर्भर है। 

अब ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन कृषक और कृषि दोनों के लिए ही लाभकारी कदम सिद्ध हो रहा है। यह मिशन किसान भाइयों के लिए वरदान के स्वरुप में सामने आया है। 

बैरवा के किसान फूलचंद को मिला लाभ 

जोबनेर के बोबास गांव के फूलचंद बैरवा एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने इस मिशन का लाभ प्राप्त किया है। फूलचंद का कहना है, कि पहले वे पारंपरिक तौर तरीकों से खेती करते थे, जिसके कारण उनकी खुशहाली मानसून निर्धारित करती थी। 

ये भी देखें: 75 फीसद सब्सिडी के साथ मिल रहा ड्रिप स्प्रिंकलर सिस्टम, किसानों को करना होगा बस ये काम

पानी के अभाव के चलते पहले समय पर सिंचाई नहीं हो पाती थी, जिसकी वजह से बहुत बारी उनका परिश्रम और फसल दोनों बर्बाद हो जाती थी।

फूलचंद ने ड्रिप सिस्टम का लाभ कैसे प्राप्त किया ? 

राजस्थान कृषि विभाग के मुताबिक, कुछ समय पहले ही फूलचंद को राज्य सरकार के राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन (Rajasthan Micro Irrigation Mission) के अंतर्गत संचालित बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति की जानकारी हांसिल हुई थी।

फूलचंद ने जानकारी मिलने के बाद बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरा किया। आवेदन करने के बाद उनके डेढ़ हेक्टेयर खेत में फॉर्म पॉउंड तैयार किया गया, जिसमें ड्रिप सिस्टम (Drip System) के माध्यम से पूरे खेत में बूंद-बूंद सिंचाई होने लगी।

ड्रिप सिस्टम पर कितना अनुदान दिया जा रहा है ?

राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत अधिकतम 5 हेक्टेयर के खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर किसानों को 70% प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। 

वहीं, लघु एवं सीमांत किसानों महिला किसानों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को 5% प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। 

बतादें, कि 1.80 लाख रुपये की लागत से ड्रिप सिस्टम को तैयार किया गया है। इतनी बड़ी धनराशि के भुगतान में राजस्थान सरकार ने सहयोग दिया। 

सूक्ष्म सिंचाई मिशन के ड्रिप सिस्टम के अंतर्गत समकुल लागत धनराशि का 75% प्रतिशत भुगतान राजस्थान सरकार ने किया।

ड्रिप सिस्टम से पानी खपत में काफी गिरावट 

फूलचन्द का कहना है, कि इस ड्रिप सिस्टम से 90% प्रतिशत पानी की बचत हुई और पैदावार और आमदनी में भी काफी वृद्धि हुई। 

अब वे न सिर्फ चैन से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, बल्कि अपने साथ ही किसानों को भी इस योजना का लाभ समझाते हैं। वह चाहते हैं, कि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई इस मिशन का लाभ हांसिल कर सकें।